Howrah Bridge Kolkata: आइये जानते है हावड़ा ब्रिज के बारे में कुछ अनोखे तथ्य।

Howrah Bridge Kolkata: आइये जानते है हावड़ा ब्रिज के बारे में कुछ अनोखे तथ्य।

Howrah Bridge Kolkata – दोस्तों आप लोग कभी न कभी कोलकाता जरूर आये होंगे, और हावड़ा ब्रिज जरूर देखे होंगे और आपके मन में भी ब्रिज से जुडी कई सवाल आये होंगे ,जैसे हावड़ा ब्रिज किसने बनाया , इसकी लम्बाई कितनी है और ये बिना पिलर के कैसे खड़ी है तो आइये जानते है इन सब के बारे में।

Howrah Bridge Kolkata
हावड़ा ब्रिज निर्माण होता हुआ।  फोटो सोर्स – The Quint

 

हावड़ा ब्रिज का इतिहास।

Howrah Bridge Kolkata के इतिहास के बारे में बात करे तो इसको ब्रिटिश इंडिया द्वारा पारित ” हावड़ा ब्रिज एक्ट 1871 ” के तहत निर्माण करने की योजना बनाई गए थी, जबकि इसका निर्माण कार्य वर्ष 1936 में शुरू किया गया था जो साल 1942 में बनकर तैयार हो गया था। लेकिन इसको आम लोगों के लिए 3 फ़रवरी 1943 को खोला गया था जिसके जरिये वर्त्तमान में हर रोज लगभग 5 लाख लोग ट्रेवल करते हैं।

हावड़ा ब्रिज का निर्माण क्यों किया गया था।

साल 1853 में वायसराय लार्ड डलहौजी ने हावड़ा में पहला रेलवे स्टेशन बनवाया था जहाँ से केवल एक महीने में ही 1  लाख से अधिक लोगों ने ट्रैन का लुत्फ़ उठा लिया और धीरे – धीरे यहाँ भी यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी, और भारत से दूसरे देश जैसे इण्डोनेशिया, फिलीपींस, हिन्द – चीन आदि देशो में जाने के लिए लोग कोलकाता से जहाज पकड़ते थे। इसकी वजह से स्टेशन पर और भी भीड़ आने लगी , कोलकाता और हावड़ा को तब जुड़वा शहर कहा जाता था क्यूंकि दोनों शहरों के बिच केवल हुगली नदी का फासला था और लोग नाव के द्वारा एक शहर से दूसरे शहर जाते थे।

किन्तु इसमें एक परेशानी थी, ईस्ट इंडिया कंपनी के बहुत सारा कच्चा माल हावड़ा  में रखा होता था और जब बरसात के मौसम में हुगली नदी में बढ़ा आता था  तब सामानों का आवा जाहि रुक जाती थी। इसी लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने नदी पर एक पुल बनाने का निर्णय लिया, और एक पंटून पुल हिंदी में कहे तो पीपे का पुल बनाया जो पानी पर तैरता हुआ एक पुल था। लेकिन कोलकाता औपनिवेशिक भारत की राजधानी होने के कारण यहाँ भीड़ भाड़ बढ़ने लगी और पांटून के इस पुल भी अपनी क्षमता खोने लगी थी। 1906 में सरकार ने पुल  की निगरानी के लिए एक कमिटी बनाई जिसने सरकार को एक रिपोर्ट पेश किया और बताया की पुल पर बैलगाड़ियों का जाम लगता रहता है और शहर को एक नए पुल की जरूरत है। अतः 1926 में सरकार ने न्यू हावड़ा ब्रिज एक्ट पारित किया , तथा 1936 से Howrah Bridge Kolkata का निर्माण शुरू हो गया।

Howrah Bridge Kolkata
फोटो – फेसबुक

टाटा कंपनी ने दिए थे 23,500 टन स्टील।

1935 में सरकार ने ” ब्रेथवेट, बर्न एंड जोसेप कंस्ट्रक्शन ” नाम के कंपनी को पुल बनाने का टेंडर दिया। जो पुल बनाने के लिए ब्रिटैन से स्टील का आयात  करती थी लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध 1939 में शुरू होने के बाद ब्रिटैन से स्टील आना बंद हो गया तब ब्रेथवेट, बर्न एंड जोसेप कंस्ट्रक्शन  कंपनी ने जमशेदपुर में स्थित टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी से स्टील खरीद कर इस पुल को बनाया और इसमें कुल 25,500 टन स्टील का उपयोग हुआ।

Howrah Bridge Kolkata में क्यों नहीं है एक भी पिलर।

Howrah Bridge Kolkata 83 सालों से कैसे बिना पिलर के खड़ी है। इसका जवाब भी सिंपल है की कोलकाता से ईस्ट इंडिया कम्पनी का समुंद्री व्यापार चलता था और मालवाहक जहाज हुगली नदी के जरिये कोलकाता से समान ले जाती और लेके जाती थी। और अगर पुल को पिलर के ऊपर बना जाता तो जहाजों को आने जाने में दिक्कत होता, इस लिए इस पुल को इंजीनियरस ने कैंटिलीवर शैली में इस पुल को बनाया

Howrah Bridge Kolkata के कुछ अनोखे तथ्य :

सबसे कमाल की बात तो ये है की Howrah Bridge Kolkata को बिना किसी नट बोल्ड के बनाया गया,बल्कि रिवेट्स का इस्तेमाल किया गया है यानि धातु को जोड़ने के लिए धातु की बनी कीलो का उपयोग किया गया है। और पूरा पुल नदी के दोनों  किनारों पर बनी 280 फ़ीट ऊँचे खम्भों पर टिका हुआ है, और बीच में कोई भी ऐसा आधार नहीं बनाया गया जो पुल को सहारा दे सके। उस समय इसकी कुल लागत  2 .5  कड़ोर आई थी।

निष्कर्ष :

तो साथियों आपने इस आर्टिकल में जाना की कैसे भारत का सबसे प्रसिद्द Howrah Bridge Kolkata को बनाया गया और उससे जुडी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त किया। जानकरी अच्छी लगी तो इसको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद।

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